FY 2025-26 तक इलेक्ट्रिक व्हीकल क्षेत्र में 3 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का मौका, क्रिसिल ने जताया अनुमान
Electric vehicles (EVs): कारोबार के इन अवसरों में मूल उपकरण मैन्युफैक्चरर के लिये विभिन्न वाहन सेगमेंट्स में करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये और और वाहनों का वित्तपोषण (फाइनेंस) करने वालों के लिये लगभग 90,000 करोड़ रुपये की संभावित आय शामिल है. कारोबार के अन्य अवसर साझा परिवहन व्यवस्था और बीमा क्षेत्र में आएंगे.
क्रिसिल के मुताबिक ईवी के आने से मौजूदा और उद्योग में आए नये मैन्युफैक्चरर दोनों के लिये अवसर हैं. (फोटो: पीटीआई)
क्रिसिल के मुताबिक ईवी के आने से मौजूदा और उद्योग में आए नये मैन्युफैक्चरर दोनों के लिये अवसर हैं. (फोटो: पीटीआई)
Electric vehicles (EVs): देश का इलेक्ट्रिक व्हीकल क्षेत्र कारोबारी साल 2025-26 तक विभिन्न स्टेकहोल्डर्स को करीब तीन लाख करोड़ रुपये का कारोबार मुहैया कराएगा. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साझा परिवहन व्यवस्था (Shared mobility), बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी और पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों को EV में बदलने को लेकर रुचि और सरकारी समर्थन से क्षेत्र में तेजी आने की उम्मीद है.
इन सेक्टर्स को होगा फायदा
कारोबार के इन अवसरों में मूल उपकरण मैन्युफैक्चरर के लिये विभिन्न वाहन सेगमेंट्स में करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये और और वाहनों का वित्तपोषण (फाइनेंस) करने वालों के लिये लगभग 90,000 करोड़ रुपये की संभावित आय शामिल है. कारोबार के अन्य अवसर साझा परिवहन व्यवस्था और बीमा क्षेत्र में आएंगे. क्रिसिल के अनुसार, कारोबारी साल 2025-26 तक EV मामले में दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत, तिपहिया के संदर्भ में 25 से 30 प्रतिशत और कार तथा बसों के मामले में पांच प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों स्वीकार्यता में तेजी बनी रहेगी क्योंकि लोग अब पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की जगह ईवी को तरजीह दे रहे हैं.
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बढ़ रही EV तिपहिया वाहनों की हिस्सेदारी
वाहन पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों की हिस्सेदारी बढ़कर पिछले कारोबारी साल में पांच प्रतिशत हो गयी, जो वित्त वर्ष 2017-18 में एक प्रतिशत से कम थी. रिपोर्ट के मुताबिक, इलेक्ट्रिक दोपहिया और बसों की हिस्सेदारी पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर क्रमश: दो प्रतिशत और चार प्रतिशत पर पहुंच गई. विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि यह बदलाव केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं है. क्रिसिल ने कहा कि छोटे शहरों में भी बिजलीचालित वाहनों को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है. इसका कारण सरकार के वित्तीय और गैर-वित्तीय कदम हैं.
मैन्युफैक्चरर के लिए अवसर
रेटिंग एजेंसी के निदेशक जगन नारायण पद्मनाभन ने कहा कि, ‘‘ईवी के आने से मौजूदा और उद्योग में आए नये मैन्युफैक्चरर दोनों के लिये अवसर हैं. ये अवसर इनोवेशन और तेजी से उभर रहे यात्री और माल ढुलाई वाहनों में है. EV इंडस्ट्री के परिवेश से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिये सरकार संरचनात्मक रूप से बैटरी अदला-बदली नीति तैयार करने पर विचार कर रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की सुविधाएं ईवी क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होंगी. इसके अलावा वित्त उपलब्धता में सुधार से भी ईवी की स्वीकार्यता बढ़ेगी.’’
05:30 PM IST